मुद्रा करात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंसकं विलासिलोकरञ्जकम्। अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ।। १।।
नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जकं नताधिकापदुद्धरम् । सुरेश्वरमं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ।। २।।
समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञजरं दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् । कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं नमस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ।। ३।। अकिंचनार्तिमार्जनं चिरंतनोक्तिभाजनं पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् । प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणं कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ।।४।।
नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजमचिन्त्यरुपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम्। हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि संततम् ।। ५।। महागणेश पञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं प्रगायति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् । अरोगतामदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां समाहितायुरष्टभूतिमभ्युपैति सोऽचिरात् ।। ६।।
मंगलमुर्ती मोरया॥
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी ।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी ॥
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी ।
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिन्धु खरारी ॥
कह दुइ कर जोरी अस्तुति तोरी केहि बिधि करौं अनंता ।
माया गुअन ग्यानातीत अमाना वेद पुरान भनंता ॥
करुना सुख सागर सब गुन आगर जेहि गावहिं श्रुति संता ।
सो मम हित लागी जन अनुरागी भयउ प्रकट श्रीकंता ॥
रामायण वेदिक एडुकेशन्स की आवश्यकता
" श्री रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन का गठन इसके आदर्शों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। इसमें सम्मेलन एवं आयोजनों के माध्यम से सनातन संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य किया जाता है। विभिन्न विभागों द्वारा योग शिक्षण, वेदांत, उपनिषद, धार्मिक पुराण, रामायण, गायन शास्त्र तथा आध्यात्मिक विकास पर विशेष बल दिया जाता है। साथ ही, ब्राह्मण समाज की श्रेष्ठता एवं योग्यता की स्थापना का भी विचार किया गया है।
श्री स्वराज प्रकाश जी के नेतृत्व में बालकों की शिक्षा, ब्राह्मणिक संस्थाओं का प्रबंधन तथा मंडल समिति, हरिद्वार में आध्यात्मिक समाज द्वारा विद्या अध्ययन की योजना बनाई गई है। इसके माध्यम से समाज को विशिष्ट ब्राह्मणिक व्यवस्था हेतु धार्मिक कार्यों में प्रेरित किया जा रहा है।
रामायण वैदिक फाउंडेशन की स्थापना का उद्देश्य वैदिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार तथा उसकी विभिन्न शाखाओं के विषयों के माध्यम से समाज को लाभान्वित करना है। इसके महत्वपूर्ण बिंदुओं में नारी शिक्षा और प्रेरणा को विशेष दृष्टि से रखा गया है। इसी अनुरूप कम्प्यूटर एवं आध्यात्मिक संभावनात्मक योजनाओं की स्थापना की गई है। भूमि व्यवस्था के अंतर्गत ७००—८०० फुट तथा १२०० स्क्वायर फुट क्षेत्रफल में काशी की भूमि का चयन किया गया है और इसे संगी एवं नगरी से जोड़ा गया है।
काशीखंड, स्वरद महापुरुष का एक खंड है, जिसमें काशी का परिचय, महानात्मा तथा उसके आध्यात्मिक स्वरूप का विशेष उल्लेख मिलता है। काशी को आनंदवन एवं वाराणसी नाम से भी जाना जाता है। इसकी महिमा का आकलन स्वयं वेदमंत्र विवेकवान ने काशी पर्वती में भी किया था, जिसे उनके पुत्र नातिबक (स्वंद) ने अपनी माँ श्री गौतर देवी को सुनाया था। उसी महीने के व्रत करने से विशेष अंतर माह फल प्राप्त होते हैं। हाल ही में स्क्वायर फुट भूमि का चयन किया गया है, जिसमें : २१,०००, १०००, ५०० ऊपर हैं। इसके माध्यम से काशी में वृद्धों की सेवा हेतु समितियों का गठन किया गया है। इसमें ब्राह्मणों, चिकित्सकों, अभियंताओं, कलाकारों, वेदज्ञ आचार्यगण तथा प्रमुख मण्डली का चयन किया जाता है। ब्राह्मण समाज को प्रेरित किया जाता है।
इसमें काशी अर्थात काशी तीन खंडों में विभाजित है — केदारखंड, विश्वेश्वरखंड और ओंखांडखंड। काशी का यह महान कार्य है। विद्वानजन कहते हैं कि यदि शिव का कोई वास्तविक कार्यस्थल पृथ्वी पर है, तो वह केवल काशी ही है।
१२ महिमा स्थलों का कार्य वहता विश्वनाथ मंदिर के निकट स्थापित है। मान्यता के अनुसार, महादेव ने अपनी पार्वती को दक्षिणा स्थान प्रदान किया था। लेकिन इस स्थान को छोड़कर अन्य किसी जीविका के लिए कोई और स्थान निर्धारित नहीं किया गया है। यह स्थल वीपीआर २७.९४८१६, लॉन्गीट्यूड ८०.७५७५०७ पर स्थित है।
रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन के संरक्षक प्रातःस्मरणीय वेदचूडामणि पं० श्री स्वराज प्रकाश जी की ऊर्जा को ध्यान में रखते हुए ब्राह्मण, धर्मगृहस्थ, गृहगुणी एवं जनहितैषी सज्जनों, देवियों तथा गुरु कार्यशाला के आदेशों हेतु विनम्र निवेदन है कि मानव एवं भारतीय संस्कृति के पोषण तथा धर्म-अवधारण की समुचित शिक्षा एवं विद्या प्रदान की जाए।
परिवार एवं संस्कारों से संपन्न परिवारों की श्रेष्ठता हेतु, बच्चों की बाल्यकालीन शिक्षा एवं शिक्षण व्यवस्था के संचालन के लिए रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा ब्राह्मणों को प्रेरित किया जाता है। इच्छुक सभी ब्राह्मण अपनी सेवाएँ वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन को प्रदान कर सकते हैं। श्री रामायण फाउंडेशन की स्थापना विक्रम संवत २०७८, तिथि ११७६ पुष्य कृष्ण, नवनीत चतुर्दर्शा फाल्गुनी माह में की गई। इसका उद्देश्य आदर्श ब्राह्मण परिवारों के लिए शिक्षा एवं संस्कारों की ऐसी व्यवस्था करना है, जिससे ब्राह्मण समाज का शिक्षा के क्षेत्र में उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित हो सके।
तुर्शील सिंह कृत श्री रामचरितमानस की स्थापना के लिए वर्तमान में नियमित श्रीरामायण वेदपाठ एवं बालकों की प्रतिभा को प्रेरित किया जा रहा है। श्रीरामायण फाउंडेशन ने वर्ष २०२२ में श्रीरामायण वेदपाठ एवं बाल वेद पाठशाला को जोड़ा। समाज में वेद का प्रचार-प्रसार करने हेतु हिंदी व्हाट्सऐप समूहों में प्रस्तुतिकरण जोड़ा गया, जिसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया। रामायण फाउंडेशन को शास्त्र, धर्म, संस्कार, परिचय एवं आत्मीयता भाव से आमंत्रित किया गया। फाउंडेशन के लिए यह गर्व का विषय है कि पूर्व में भी गोस्वामी तुलसीदास कृत वेदों का अनुशीलन कर श्रीरामायण का विशेष स्थान निर्मित किया गया। इसमें १००१ से ५०० पुरुषों को अर्पित करते हुए चयनित किया गया है। आप सभी के सहयोग एवं आदर्शपूर्ण समर्पण हेतु रामायण फाउंडेशन परिवार आपका ऋणी है। हृदय से आभार रहेगा और विश्वास है कि आपका विशेष सहयोग एवं अमूल्य परामर्श सदैव अपेक्षित रहेगा।
🪷परिचय🪷 (विधिक/प्रशासनिक आज्ञानिरूपण सन्दर्भ में) 👉 ध्यान दे यह संस्थान किसी भी प्रकार की सरकारी सेवा दिलाने का न कार्य करती हैं यह केवल आवश्यक निजी पूंजी के आधार पर करती है न कि किसी भी प्रकार के लोभ दे कर कार्य करती हैं न किसी से धन, दान, दक्षिणा को आगंतुक की स्वैच्छिक दान लेती है ताकि वैदिक ज्ञान को बढ़ावा मिल सके इसको निजी कोष द्वारा निर्मित किया गया है इसका सम्मान पत्रक संस्कृत में निर्गत किया गया है केवल सनातन वैदिक कार्यों के लिए है जो केवल ज्ञान देने का कार्य करती है🙏 संस्था: रामायण एजुकेशन फ़ाउंडेशन पूर्ण कार्यालय पता: आरविंद नगर कॉलोनी, 10/14, राजगढ़ वार्ड, ज़िला लखीमपुर खीरी – 262701 (उ.प्र.) नवनिर्मित भवन श्री रामायण भवन , गोलाकोरन धाम , राष्ट्रीय राज्यमार्ग असम मार्ग पर मठ और कार्यशाला गठित की गई संस्था का पंजीकरण एनजीओ अधिनियम 1860 की धा0 21 के अंतर्गत किया गया है। दिनांक 12-02-2024 को पंजीकरण हेतु स्मृतिपत्र, नियमावली, शपथ-पत्र आदि अभिलेख प्रस्तुत किए गए। प्रमाण पत्र शीघ्र निर्गत करने का अनुरोध माननीय उप-पंजीयक, फर्म्स सोसाइटीज़, उत्तर प्रदेश, मण्डल लखनऊ को किया गया, जिसे स्वीकार किया गया। संस्था को पंजीकरण संख्या: एल0के0 एच0 07740/2023-24 प्रदान की गई। यह पंजीकरण उत्तर प्रदेश में प्रवर्त नियमों के अनुसार रजिस्टर किया गया है संस्था ने स्व-वित्तपोषित आधार पर अपना नया कार्यालय “रामायण भवन” में स्थापित किया है। जहां मठ स्थापना की गई है समस्त गतिविधियों की पूर्ण देख-रेख (सभापति) श्री शौरभ मिश्र, श्रीमती रमा दीक्षित (सचिव/कोषाध्यक्ष) तथा अन्य सदस्यों द्वारा की जाती है। रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा आयोजित विशेष सभा की बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि स्मृतिपत्र में उल्लिखित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु “श्री राघव प्रांजल मठ” की संरचना की जाए, और उन्हीं उद्देश्यों के क्रियान्वयन के लिए रामायण वैदिक एजुकेशन फ़ाउंडेशन की गतिविधियाँ इसी मठ के अंतर्गत संचालित की जाएँ इसका प्रबन्ध किया गया जोकि वर्तमान में संचालित है संस्था विधिसंगत रूप से पंजीकृत है, यह अपना स्व-वित्त पोषित कोष द्वारा कार्यालय एवं कार्यशाला , सेमिनार, संगोष्ठी संचालित करती है, और सामान्य सभा के निर्णयानुसार “श्री राघव प्रांजल मठ” के माध्यम से अपने उद्देश्यों का क्रियान्वयन करेगी। यह केवल वैदिक ज्ञान और विज्ञान को प्रेरित करती हैं
रामायण वैदिक एजुकेशन फ़ाउंडेशन के तत्वावधान में संचालित मठ का संक्षिप्त विवरण 🌞श्री कु.० राघव प्रांजल मठ 🌞 🪷मठ का उद्देश्य एवं लक्ष्य क्षेत्र के समस्त जनों का सामाजिक, मानसिक, नैतिक, चारित्रिक, कलात्मक, आध्यात्मिक एवं बौद्धिक विकास करना। श्री कु.० राघव प्रांजल मठ (रामायण वैदिक एजुकेशन फ़ाउंडेशन द्वारा गठित मठ) के माध्यम से – वैदिक साहित्य, संस्कृत, ज्योतिष, वेद, पुराण, शास्त्र व ग्रंथों पर कार्यशालाएँ और संगोष्ठियाँ आयोजित करना। वर्तमान में फैली हुई अशांति, अशिक्षा, असमानता, अज्ञानता को वैदिक ज्ञान के द्वारा दूर करना। निःशुल्क चिकित्सा सेवा (सूर्य चिकित्सा एवं प्राकृतिक औषधियों से/ व्यायाम से) पूर्ण करना है। दुर्बल विद्यार्थियों को वैदिक शिक्षा एवं पुस्तक सहायता। वैदिक तीर्थ-परिभ्रमण, गौ-सेवा, जल-मद्दे, अन्न-सदावर्त, जल-विहार उत्सव। प्रभु श्री जगन्नाथ की यात्रा, विजयदशमी कार्यक्रम, कपड़ा वितरण, श्रीराम नवमी उत्सव, श्री रामलीला इत्यादि को पूर्ण करना है। वैदिक आचार्यों के माध्यम सनातन व राष्ट्रीय पर्वों पर कार्यक्रमों का आयोजन। उत्तर प्रदेश एवं भारतभर में संगोष्ठियों व वार्षिक सेमिनारों का आयोजन। सत्य सनातन वैदिक धर्म के वास्तविक स्वरूप को प्रस्तुत करना और उसमें व्याप्त अंधविश्वास व कुरीतियों का निवारण करना। वैदिक सप्त-ज्ञान, वेदों के उपदेश, उनकी महत्ता, आदर्श परंपरा, पवित्रता व विचारों की जागृति को विद्वानों, आचार्यों व महोपाध्यायों के माध्यम से प्रसारित करना। समाज सुधार के लिए – छुआछूत, जातिवाद, बाल विवाह प्रथा, कन्या हत्या, यौन उत्पीड़न, महिला शोषण और दहेज प्रथा का निवारण। जागरूकता शिविरों का आयोजन। निर्धन, अनाथ व तलाकशुदा युवकों-युवतियों हेतु दहेज-मुक्त सामूहिक विवाह का आयोजन। महिलाओं की सुरक्षा हेतु – बालिकाओं, कामकाजी महिलाओं, अकेली रहने वाली एवं तलाकशुदा महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और शोषण को रोकना। उन्हें सम्मानित न्याय दिलाने में सहयोग करना। लखीमपुर खीरी में समस्या समाधान आयोजन और थाना दिवस, नि:शुल्क विधिक परामर्श प्रदान करना। स्वास्थ्य व नशा मुक्ति – धूम्रपान और मद्यपान निवारण कार्यक्रम। नि:शुल्क स्वास्थ्य परामर्श। शिक्षा व शोध कार्य – वैदिक पुस्तकालय, वैदिक सूर्य शाला,वाचनालय और प्रयोगशाला की स्थापना की गई है। विद्यार्थियों के लिए कम्प्यूटर शिक्षा, टाइपिंग, स्कैनोग्राफी, शिल्पकला, हस्तशिल्प, सिलाई-कढ़ाई, बुनाई, सूत की चरखा एवं तकली आदि का प्रशिक्षण। ललित कला, संगीत, वीणा वादन, मृदंग वादन, करताल वादन आदि का ज्ञान उपलब्ध कराना। मार्गदर्शन एवं सहयोग – प्रभु प्रेमी संघ, वृंदावन जनपद मथुरा,शांति कुंज जनपद हरिद्वार (राज्य उत्तराखंड), वेल्लूर मठ कोलकाता (पश्चिम बंगाल), ईशा फ़ाउंडेशन कोयंबत्तूर राज्य तमिलनाड़ू, श्री मलूक सेवा संस्थान वृंदावन, राज्य मथुरा उत्तर प्रदेश,इस्कॉन मंदिर वृंदावन जनपद - मथुरा उत्तर प्रदेश एवं राज्य महाराष्ट्र, श्री प्रेम भूषण जी महाराज श्री हनुमत सेवा समिति जनपद -कानपुर, श्री प्रेमानंद जी महाराज श्री हित राधा केली कुंज, वृंदावन जनपद- मथुरा,श्री चैतन्य गौड़िया मठ, बाघ बाजार -राज्य कोलकाता,यात्रा धाम, ब्रजरसिक एवं सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पुस्तकालय विभाग (काशी) के आचार्यों व संस्थानों से मार्गदर्शन (ईमेल व पत्राचार द्वारा) प्राप्त कर कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है। वंचित वर्गों के लिए – अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और शोषित वर्ग के बच्चों एवं महिलाओं के लिए विशेष शैक्षिक और कल्याणकारी योजनाएँ। उन्हें आधुनिक शिक्षा के साथ वैदिक परंपरा से जोड़ना। 👉 इस प्रकार, श्री राघव प्रांजल मठ का उद्देश्य है – वैदिक ज्ञान, शिक्षा, संस्कृति, समाज सुधार और महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाना।
रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन का अर्थ इस प्रकार हो सकता है: - रामायण: रामायण एक प्राचीन भारतीय महाकाव्य है, जो भगवान राम की कथा को बताता है। यह ग्रंथ हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है और इसके पात्र और कथाएं भारतीय संस्कृति में गहराई से जुड़ी हुई हैं। - वैदिक: वैदिक शब्द वेदों से संबंधित है, जो प्राचीन भारतीय ग्रंथ हैं जिनमें धार्मिक, दार्शनिक और वैज्ञानिक ज्ञान का वर्णन है। वैदिक परंपरा हिंदू धर्म की एक महत्वपूर्ण शाखा है। - एजुकेशन फाउंडेशन: एजुकेशन फाउंडेशन का अर्थ है शिक्षा के लिए एक संस्था या संगठन। यह संस्था शिक्षा के क्षेत्र में काम करती है और इसका उद्देश्य शिक्षा को बढ़ावा देना और लोगों को शिक्षित करना होता है।
काशी के बारे में शिव जी का संस्कृत और ज्योतिष मंत्र में कई महत्वपूर्ण बातें लिखी गई हैं: संस्कृत मंत्र 1. "ॐ नमः शिवाय": यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है, और काशी में इसका महत्व बहुत अधिक है। 2. "काशी विश्वनाथाय नमः": यह मंत्र काशी विश्वनाथ मंदिर को समर्पित है, जो भगवान शिव का एक प्रमुख मंदिर है। ज्योतिष मंत्र 1. "ॐ अग्निर्मूर्धा दिवः ककुत्पति": यह मंत्र ज्योतिष में अग्नि तत्व को दर्शाता है, जो काशी के ज्योतिषीय महत्व को उजागर करता है। 2. "ॐ नमो रुद्राय": यह मंत्र भगवान शिव के रुद्र रूप को समर्पित है, जो काशी में ज्योतिषीय महत्व रखता है। काशी का ज्योतिषीय महत्व काशी का ज्योतिषीय महत्व बहुत अधिक है, और यहाँ के ज्योतिषियों ने कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं। काशी के ज्योतिष में विभिन्न ग्रहों और नक्षत्रों का महत्व है, और यहाँ के ज्योतिषी इनके बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं। काशी की संस्कृत और ज्योतिष परंपरा काशी की संस्कृत और ज्योतिष परंपरा बहुत पुरानी है, और यहाँ के विद्वानों ने इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। काशी की संस्कृत और ज्योतिष परंपरा ने भारतीय संस्कृति और धर्म को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। काशी खण्ड में भगवान शिव ने कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं: काशी की महिमा भगवान शिव ने काशी की महिमा के बारे में बताया है कि यह शहर उनका निवास स्थान है और यहाँ के लोगों को मोक्ष प्राप्त करने का अवसर मिलता है। काशी में मृत्यु का महत्व भगवान शिव ने बताया है कि काशी में मृत्यु होने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है, और यहाँ के लोगों को अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने का अवसर मिलता है। काशी के तीर्थ स्थल भगवान शिव ने काशी के विभिन्न तीर्थ स्थलों के बारे में बताया है, जिनमें काशी विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, और अन्य प्रमुख मंदिर शामिल हैं। काशी की पूजा और अनुष्ठान भगवान शिव ने काशी में पूजा और अनुष्ठानों के महत्व के बारे में बताया है, जिनमें विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और पूजा विधियाँ शामिल हैं। काशी का आध्यात्मिक महत्व भगवान शिव ने काशी के आध्यात्मिक महत्व के बारे में बताया है, जो इस शहर को एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाता है। काशी का आध्यात्मिक महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है, और यहाँ के लोगों को अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने का अवसर मिलता है। 🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉 🪷इसके पर्व आचार्यों का संक्षिप्त विवरण उक्त है 🪷 🪷1. प्रथम आचार्य ब्रह्मलीन (डॉ)श्री तारा चंद्र जी वेद माता गायत्री उपासक , आर्य समाज में सक्रिय योगदान 🪷2. द्वितीय आचार्य ब्रह्मलीन श्री रामगोपाल जी ( अध्यापक) 🪷3. तृतीय आचार्य ब्रह्मलीन श्री स्वराज्य प्रकाश जी (वेद माता गायत्री परिवार में सक्रिय योगदान, आर्य समाज से जुड़े हुए थे 🪷4. चतुर्थ आचार्या ब्रह्मलीन पूज्यनीय दादी जी श्रीमती सुमित्रा देवी जी ( शिक्षा के महत्व पूर्ण मानते हुए सेवा प्रदान की) 🪷5. पंचम आचार्य ब्रह्मलीन श्रीमती शान्ति देवी जी ( श्री राम चरित मानस, अर्चना, भागवत कथा, वेद माता गायत्री पूजन आध्यात्मिक ज्ञान से वर्धन किया( 🪷6. षष्ठ आचार्या कुo रूचि देवी जी ( ललित कला अकादमी में कला और मूर्तिकला पर विशेष योगदान दिया साथ में विधिक सेवाओं में कार्य में सलग्न है) 🪷 सप्तम आचार्य श्री एo कुमार जी ( अपने श्रीमद्भगवद्गीता परीक्षा के प्रति समर्पित किया और सनातन कर्मकाण्ड में विशेष रूप से कार्य किया और चिकित्सा आपथेलमिक कानपुर, तथा आपकी रुचि वैदिक खगोल पर कार्य किया) 🪷 अष्टम् आचार्या श्रीमती रमा देवी जी (अपने चित्र कला, वेद माता गायत्री पूजन, आध्यात्मिक ज्ञान के प्रति समर्पित हैं वर्तमान में आप सभी के साथ रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन परिवार की देखरेख में संलग्न हैं) 🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉
🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 वर्तमान में संचालित मठ में केवल पांच आचार्य के माध्यम से समाज को सनातन की और उन्मुख है साथ ही साथ केवल एक स्वयं सेवकों की तरह स्वैच्छिक श्रम दान, स्वेच्छा धन दान, स्वैच्छिक समय दान कर रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा गठित मठ की देख रहे हैं और कार्य भी कर रहे हैं इसके लिए वो मठ में अपना अमूल्य योगदान देते हुए प्रफुल्लित और पल्लवित कर रहे जिसमें आचार्या श्रीमती रमा देवी जी और आचार्य श्री सौरभ मिश्रा जी को इस मठ के बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं जिसमें कुछ महत्वपूर्ण कार्यों का विवरण है उक्तवक्त है 1. आचार्य श्री सौरभ कुमार मिश्र जी द्वारा त्रिवेणी प्रयागराज के पवित्र भूमि से मृदा द्वारा लाई गई आदि देव महादेव जी के निर्माण में आचार्य श्री (डॉ)एo कुमार जी और आचार्य श्री राम नरेश जी के द्वारा और मठ के स्वयं सेवकों द्वारा पार्वत्तिक शिवलिंग श्री त्रिवेदीश्वर जी की स्थापना की गई वर्ष 2024-25 में पूर्ण कार्य किया गया जिसके शिल्पकारों की महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है जिसके लिए आप सभी आदरणीय संरक्षक एवं सदस्य का विशेष साधुवाद 2. तदोपरांत श्री सूर्य शाला के निर्माण में आचार्य (डॉ) श्री ए0 कुमार जी के अध्ययन अनुरूप धातु टिन द्वारा पूर्ण किया गया जिसमे सभी आदरणीय स्वयंसेवक और श्री राम स्वरूप जी शिल्पकारों का महत्वपूर्ण योगदान दिया गया है वर्ष 2024-25 में पूर्ण कार्य हुआ 3. आचार्य श्री सौरभ कुमार जी द्वारा एकादशी पर ध्यान देते हुए सर्वाधिक गणमान्य सज्जनों में प्रसारित एवं प्रचार किया गया तथा आचार्या श्रीमती रमा देवी जी द्वारा उसके सौंदर्यकरण का कार्य किया गया वर्ष 2024 जिसके लिए आप सभी आदरणीय संरक्षक एवं सदस्य का विशेष साधुवाद 4. वर्ष 2024 में ज्योतिष निपुण शास्त्री श्री ॐ बाजपेई जी के प्रतिष्ठान पर अस्थाई रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन का जन संपर्क कार्यालय स्थापित किया गया जिसमें सनातन पुस्तकों में वर्णित ज्ञान पर वेदों, पुराण, उपनिषद्, वेदांक इत्यादि संवाद द्वारा किया जाता था 5. रामायण भवन में एक स्थान बनाने के लिए प्रयास किया गया जिसमें दो वर्ष का समय लगा वर्ष 2025 में कार्य पूर्ण होने पर भगवान् ओंकार स्वरूप शिवजी और जगत जननी पार्वती, भक्त श्री नंदी महाराज, शिव जी के परम ज्ञानी भगवान श्री विनायकजी नृत्य और परम ज्ञानी जी को स्थापित किया गया तदोपरांत मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी और अतुलित बल के धाम श्री हनुमंत जी की स्थापित किया गया जिसमे आचार्य श्री सौरभ कुमार मिश्र जी द्वारा पूर्ण किया गया जिसमें सनातन धर्म के अनुक्रम में कार्य सफलता और कुशलता द्वारा सम्पन्न किया गया 6. मठ में सुंदर विचारों और चित्रों से संपन्न किया गया जिसमें सनातन कर्मकाण्ड हेतु यज्ञ कुंड, रुद्राष्टकम हेतु अनिवार्य अर्चना और पूजन सामग्री को लाया गया जिसमें आचार्या श्रीमती रमा देवी जी का योगदान दिया गया था तब से यहां पूजन अर्चन नियमित किया जा रहा है प्रातः और संध्या नियमित रूप से विविध प्रकार से की जा रही हैं इसमें निहित कोष द्वारा पूर्ण किया गया सभी आदरणीय स्वयंसेवक, गणमान्य सज्जनों के योगदान से संभव हुआ इसके लिए सभी का साधुवाद 7. आचार्य श्री ( डॉ) एo कुमार जी द्वारा श्री राम नाम लिखने वालों को मंदिर आदि में और जन सामान्य द्वारा राम लेखन पुस्तिका का निःशुल्क विवरण किया गया और इसके उन्नयन हेतु श्री राम मंदिर अयोध्या धाम एवं श्री ऋषि केश धाम संपर्क कार्यालय पर किया गया साथ ही साथ श्री राम मंदिर प्राणप्रतिष्ठा के दिन ढाई हजार दीपों द्वारा कार्यक्रम देवदेवेश्वर मंदिर में पुरोहित श्री सत्य नारायण मिश्र व पुरोहित श्री मनोज पांडेय जी की सानिध्यता में समस्त श्री राम मंदिर प्राणप्रतिष्ठा के आयोजन में सभी श्री राम भक्तओ को भी ग्यारह दीप के प्रज्वलन सम्पन्न हुआ आप सभी आदरणीय संरक्षक एवं जन सामान्य को विशेष साधुवाद था उसी दिन से पवित्र वृक्षों आम, वट वृक्ष एवं पीपल के समीप रखे बुद्धि दाता श्री गणेश जी और समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी जी की भ्रांश मूर्तियों को पवित्र नदियों में विसर्जित करने का कार्यभार लिया गया जोकि वर्तमान में संचालित है 8. वर्ष 2024 को आचार्यों, शास्त्रीयो एवं सदस्य जनों द्वारा विभिन्न प्रकार से वेद पाठशाला, पवित्र धामों से संपर्क डाक और ई मेल के माध्यम से किया जाता रहा गया था जो वर्तमान में संचालित है संवाद के उपरांत संस्कृत पुस्तकों को काशी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्व विद्यालय संपर्क कर डाक द्वारा पार्सल से मंगवाया गया था जिसका कार्य वर्तमान में संचालित है और यह क्रम आज भी श्री हरि कृपा से अभ्याद्य रूप से संचालित है 9. जनपद लखीमपुर खीरी के पवित्र धामों जिसमें मृदा को इकठ्ठा कर की गई जिसमें श्री लिलुटी नाथ जी धाम, श्री देवकली धाम, श्री निमिश्रण धाम जनपद सीतापुर , श्री बैजनाथ धाम सीतापुर आदि अन्य उचित माध्यम से प्राप्त कर ज्योतिष यंत्रों, श्री रामायण कथा, श्री श्रीमद्भागवत कथा अनुरूप विभिन्न प्रकार के खण्डों में वर्णित कथा अनुरूप मिट्टी के सुंदर खंडों को मॉडल के रूप में बनाया जा रहा है और विविध प्रकार के रंगों से रंगा जा रहा है ताकि मठ में आने वाले जिज्ञासु और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रेमी जानो को सनातन कार्यशाला, संगोष्ठी, श्रुति और स्मृति के माध्यम सनातन और आध्यात्मिक लाभ मिल सके इसके साथ धार्मिक स्थानों के तैलीय चित्रों से संबंधित जानकारी भी दी जा सके जिसमें ताड़ के पत्तो की श्री हनुमंत चालीसा द्वारा पूर्ण किया गया है जिसमें सभी आदरणीय स्वयंसेवक, संरक्षक, गणमान्य सज्जनों को सनातन धर्म को पुनः जागरण किया जा रहा है इसके साथ ही साथ श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा आयोजित की जा रही हैं आधुनिक विकास में सहायक सामग्री जैसे संगणक की इंटरनेट के साथ ही साथ संगणक प्रयोगशाला पूर्ण शान्त एवं स्वच्छ सूक्ष्म एवं पूर्ण शुद्ध शाकाहारी भोजन की व्यवस्था, वातानुकूलित व्यवस्था की गई है मठ के विभिन्न प्रकार सनातन कर्मकाण्ड में सम्मिलित होने के पर्वो,उत्सवों, पुराणों की कथाओं का आयोजन करने का पंचांग पर मठ आधारित हैं इस मठ की स्थापना सनातन ज्ञान विज्ञान से अवगत कराना है मंगल कार्यों आप सभी आदरणीय संरक्षक, कार्यालय प्रबंध, गणमान्य सज्जनों, से सहयोग अपेक्षित हैं यह मठ केवल ज्ञान देने हेतु है कोई निर्धारित समय पर ही कार्य सम्पन्न हो ऐसा मंगल हो सभी ज्ञानी विज्ञानी हो इस मठ का सम्पूर्ण व्यवस्था में जन सामान्य के सहयोग पर आधारित हैं जिसमे प्राप्त वस्तुओं पर आधारित हैं यह मठ जन सामान्य द्वारा प्राप्त सहायता शुल्क से,व्यापारिक प्रतिष्ठान के धर्मादा पर आधारित हैं प्रत्यक्षवेतनमान, मानदेय, वेतनमान , कोष की व्यवस्था अनुरूप बना है 🦢 विशेष रूप से ध्यान दें कोई भी अव्यवस्था लाने अगर सुव्यवस्थित ढंग से नहीं संचालित होता है तो रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन द्वारा गठित मठ को भंग कर दिया जाएगा और अधिक परिस्थितियों, अनुशासन, गण वेश , क्षति पहुंचने पर शासन / प्रशासन को लिखित रूप से अवगत कराया जाएगा रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन परिवार द्वारा किसी से कोई दान , दक्षिणा न मांगता है और न किसी को प्रेरित करता हैं जो भी स्वैच्छिक सहयोग राशि जमा करे तो वह मठ में रखे स्वयं सहायता शुल्क पात्र में रखें ताकि पात्र को पूर्ण होने अर्थात् श्रद्धा से प्राप्त होगा वह मठ में लगा दिया जाएगा और जो सज्जन इश्छुक़ वो ऑनलाइन क्यू आर कोड द्वारा दे और संगोष्ठी में भाग लेने वाले अभ्यर्थियों के भाग लेने पर राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा में जमा करे शुभेच्छु सौजन्य से - रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन परिवार
1. पाठ्यक्रम की वीडियो अपलोड करें लेकिन कोई भी इसको देखने से पहले भुगतान क्यू आर कोड से जुड़ी हो भुगतान के उपरान्त देख सुन सकते है अन्यथा नहीं 2. कोई भी सज्जन जुड़े तो व्हाट्स ऐप लिंक दे ताकि वह ऑनलाइन की ज्वाइन लिंक ले और व्हाट्स ऐप से जुड़ जाए 3. ऐसी व्यवस्था करे ई मेल पोर्टल साइट से जुड़े और मेल से उसी प्लेटफार्म पर टाइप करे और सूचना ईमेल आ जाएं 4. ऑनलाइन क्लास में दिए गए कोर्स को चेक लिस्ट से जोड़ दे ताकि मार्कशीट सीधे संस्कृत में जनरेट कर सकें लेकिन सहयोग राशि क्यू आर कोड पर भुगतान के उपरांत होने के बाद ऐसी व्यवस्था करने में सहयोग दे 5. स्वेच्छा से सहयोग राशि क्यू आर कोड पर ही दे 6. विषयों को आवेदन फॉर्म से जोड़े जो आपको शीघ्र भेज दिया जाएगा पहले सारे कॉलम भरे सबमिट से भुगतान दे 7. कोई भी सूचना सीधे कंप्यूटर ड्राइव से सीधे तौर पर सलेक्ट करे और अपलोड हो जाए 8. मठ की ईमेल अलग दे केवल जानकारी हेतु मठ से सूचना केवल अलग रहे एक लोगो रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन का अलग और मठ का टैब अलग रहे कॉपीराइट के अधीन कोई भी वीडियो अवधि 30 मिनट से अधिक न हो 9. फेसबुक का दो पेज बनाए रामायण वैदिक एजुकेशन फाउंडेशन और दूसरी मठ के लिए 10. किसी अन्य संस्थान की कॉपी कैट न करे और यूट्यूब चैनल बना दे सीधे इकॉन पर पर क्लिक कर चैनल पर पहुंचे 11. किसी भी प्रकार की कॉपी पेस्ट या वीडियो डाउनलोड करने की व्यवस्था बंद करे शेष लिंक दे कर चेक करवा दे तब आगे के सुझाव दे या प्राप्त कर ले लोगो मठ का ही लगा दे
शुभेच्छु
रामायण फाउंडेशन परिवार